मूल्यांकन
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प्रतिरोध की भूमिका में खड़ा नाटक
जैसे विशाल वृक्ष की छाया कथित छोटे और महत्वपूर्ण वनस्पति के लिए ठीक नहीं समझी जाती उसी तरह रचनाकार…
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गोस्वामी तुलसीदास: इन्द्रियविजय या आत्मसंघर्ष?
हाल ही में सोशल मिडिया पर एक वीडियो आया है जिसमें किसी महिला ने सुलेमान आसिफ का यह मन्तव्य…
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शैलेन्द्र के गीतों में मानवीय संवेदना
शैलेन्द्र की रचना प्रक्रिया पर सहसा ही कोई बयान देना दरअसल जोखिम का काम है। एक कवि के रूप…
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निकम्मों के कोरस का स्वर
निकम्मों का कोरस एक दिलचस्प शीर्षक है, ऐसा कि रूह रश्क करे, कहानी ऐसी कि रूह फना हो जाए।…
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तेंदुए के विष-नेत्र, दहकती घृणा और सांप
अज्ञेय ने ‘ शरणार्थी’ नामक कविता लिखी है। यह कविता 11 उपखंडों में बँटी है और 12 अक्टूबर 1947…
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‘11से 13 के बीच’
नबीला के हमसफ़र बनने की, विभा रानी की ‘बहादुर कहानी’ स्त्रीमन की परत-दर-परत खोलने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है…
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अमरकांत के कथा साहित्य में निम्न मध्यवर्गीय स्त्री की उपस्थिति
अमरकांत के लेखन का जो दायरा था वह निम्नमध्यवर्ग और मध्यवर्ग की समस्याओं के आस-पास केन्द्रित रहा है। इस…
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जनपक्षीय सरोकारों के कवि: रेवतीरमण शर्मा
1940 के अप्रैल को राजस्थान के अलवर जिले के मालाखेड़ा ग्राम में जन्मे कवि रेवतीरमण शर्मा जनपक्षीय सरोकारों के…
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‘स्व’ से ‘स्वजन’,‘स्वजन’ से ‘सर्वजन’ की काव्य–यात्रा
मेरे विचार में किसी भी कवि अथवा कविता का यथार्थ केवल ‘स्व–पीड़ा’ मात्र नहीं है, जो कि प्रायः दलित…
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लोकतंत्र और स्वाधीनता के पहरुआ कवि अनिल विभाकर
शिवदयाल ‘‘शाम होते ही नागिन-सी रात के फन काढ़ने से पहले बेखौफ, डटकर खड़े हो जाते हैं…
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