नाटक
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आतंकी हिंसा की खोल में ‘चुप’ के राज़ और भी हैं…!
अंधेरी उपनगर, मुम्बई के ‘सात बंगला’ इलाक़े में स्थित ‘आराम नगर’ मुहल्ले में रंगमंच के नये-नये केंद्र बन रहे…
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नाट्य परिदृश्य प्रभावशाली कैसे हो?
समकालीन नाट्य परिदृश्य पर संवेद और सबलोग पत्रिकाओं के सम्पादक किशन कालजयी की टिप्पणी किशन कालजयी कहानी, कविता, उपन्यास,…
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सर्जनात्मक बेचैनी की विडम्बना
(‘पोशाक’ नाटक – त्रिपुरारी शर्मा) हिन्दी नाटक और रंगमंच में बहुत कम ऐसे व्यक्तित्व हैं, जो नाट्य–लेखन और…
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आला अफसर आला रे आला
कमलेश कुमारी (आला अफसर – मुद्राराक्षस) ‘आला अफसर’ मुद्राराक्षस की उद्दाम रंग–प्रक्रिया की सफल रचनात्मक उपलब्धि है । नौंटकी…
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हमने लाहौर देख लिया है
‘जिन लाहौर न देख्या ओ जम्माइ नइ’ असगर वजाहत का ख्याति-प्राप्त नाटक है. इस नाटक पर सधा हुआ लिखा…
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आधुनिक सन्दर्भों में ‘इला’
प्रभाकर श्रोत्रिय का ‘इला’ नाटक आज के समय में स्त्री-अस्मिता की लड़ाई को अपने ढंग से उठाता है. इस नाटक…
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सामाजिक सच की अभिव्यक्ति
एश्वर्या (ताजमहल का टेंडर : अजय शुक्ला) अजय शुक्लाकृत ‘ताजमहल का टेण्डर’ एक व्यंग्यात्मक नाटक है जो…
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सामाजिक जटिलताओं की राजनीतिक अभिव्यक्ति
भीष्म साहनी का ‘मुआवज़े’ नाटक यह वर्ष भीष्म साहनी का जन्म शताब्दी वर्ष है. इसी अवसर पर उनके…
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रंग महोत्सवों की बाढ़ के निहितार्थ
मृत्युंजय प्रभाकर सभी कला माध्यमों में रंगमंच सबसे ग्लैमरविहीन रहा है, कारण कि संगीत, नृत्य और सिनेमा के तो बड़े…
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लोकसंस्कृति और असली नटकियों की कथा
– मुन्ना कुमार पाण्डेय अविनाश चन्द्र मिश्र का नाटक ‘बड़ा नटकिया कौन’ एक थी लोकरंजन की सांस्कृतिक परम्परा, जिसका…
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