फणीश्वर नाथ रेणु
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संघर्ष की जद्दोजहद और सौंदर्य की चाहत (लाल पान की बेगम)
सुप्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस का चर्चित चित्र ‘दो मुर्गों की लड़ाई’ देख कर रेणु जी को लगा था कि…
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गोआनीज लेडी के भीतर की दुनिया (लफड़ा)
अमित मनोज फणीश्वरनाथ रेणु लोक की आंचलिकता के सबसे सजग और संवेदनशील कथाकार हैं। उनका सृजनपाठक को निरन्तर स्पंदित…
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रेणु का लोक
रेणु ने राष्ट्रीय आख्यान के समानांतर स्थानिक संस्कृति के जीवन और संघर्षों को अपने कथा साहित्य का विषय बनाया।…
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प्रीत-पीड़ा-राग
रेणु की कहानियों से गुज़रते हुए मैं हर बार मिथिला के इस भूभाग, जिसको कुछ लोग ‘रेणु इलाक़े’ के…
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नित्य लीला : पुरुष मन से स्त्री का प्रतिवाद
‘रेणु’ का नाम आते ही सिर्फ ‘रेणु’ याद नहीं आते बल्कि उनके साथ बिहार की लोक संस्कृति से जुड़ी…
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जैव
“रेणु मानवता के लेखक थे। मानवीय संवेदना इनकी रचना के केंद्र में है। मानवीय संवेदना की लेखकीय पकड़ रचनात्मक…
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स्वप्न-भंग और लोक संस्कृति की विदाई
दशकों पूर्व की ही नहीं, सौ वर्ष पहले की भी कुछ कहानियाँ बार–बार अपने पाठकों–आलोचकों से पुनःपाठ, गम्भीर पाठ…
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‘भीत्ति चित्र की मयूरी’ और रेणु का सौंदर्यशास्त्र
फणीश्वरनाथ रेणु युगबोध से परिचालित और प्रेरित ऐसे कथाकार थे, जिनकी दृष्टि भारतीय समाज के यथार्थपरक संश्लिष्ट बिंबों पर…
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प्रेम का शाश्वत मर्म
(एक श्रावणी दोपहरी की धूप) फणीश्वरनाथ रेणु कहानी रचते नहीं, कहते हैं और लोक की कहन–परम्परा को नये…
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एक नदी और उसके दो पाटों के उजड़ने-बसने की कहानी
(रखवाला) फणीश्वर नाथ रेणु अंचल की खूबसूरती को उसके धूल, फूल, शूल के साथ रोमानी अन्दाज में व्यक्त करने वाले…
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