कहानी

सेठ का बेटा

 

एक रोज घनश्याम सेठ के बड़े लड़के ने जब अपने को छोटा दुकानदार कहा तो मैं सकते में आ गया। मैं भौंचक उसका मू देख रहा था। यकीन मानिए जागृत अवस्था में हमेशा रजनीगंधा, तुलसी चबाते, व्यस्त रहने वाले पैंतालिस साल के इस आदमी का चेहरा पहली बार उतरा हुआ देखा मैंने। ऐसी मायूसी तो उस समय भी नहीं थी जब उसके छोटे भाई, यानि सेठ जी के तीसरे बेटे की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी।

घनश्याम सेठ शहर के किराने के सबसे बड़े आढ़तिया माने जाते हैं। रविवार को सुबह की सैर में उनका यही बड़ा लड़का डरा हुआ मिला मुझे। उसने बातचीत में चलते-चलते दो-तीन बार अपने को छोटा दुकानदार कहा था। हमलोग एक चाय की दुकान पर रूके। चाय पी। वह एक सुपर मार्केट के मालिक को गालियां दे रहा था जिसकी शाखाएं देश के छोटे-बड़े सभी शहरों में खुल गई थीं या खुलने वाली थीं।

इस शहर में साल भर पहले अंबानी का जो सुपरमार्केट आया था, उसके रास्ते पर दिनों दिन ग्राहकों की आम – दरफ़्त तेज़ हो रही थी। छोटे- मोटे दुकानदार तो पहले से ही घबराये और मू बाये खड़े थे ! लेकिन उस रोज घनश्याम सेठ का वह लड़का मुझे आश्चर्यजनक रूप से खीझा हुआ और उदास लगा‌। वह जिस तरह से बातें कर रहा था उससे यह समझा जा सकता था कि यह सुपर मार्केट अगर बंद ना हुआ तो जल्दी ही शहर पर कोई कयामत आ सकती है या देवता नाराज हो सकते है ! उसने कहा- जिसका कोई नहीं होता है, उसका बाबा होता है। बाबा का इधर मतलब है भगवान शिव! वही हिसाब करेगा सबका।

सैर से वापस लौटते हुए मुझे लगा उसे जरूर कोई सपना आता होगा जिसमें वह अपने को गली- मुहल्ले के छोटे दुकानदार के रूप में पाता होगा और डर जाता होगा! नींद खुल जाती होगी। मन अंदेशे से भर‌ जाता होगा। या संभव है सपने में उसे अंबानी दस चेहरे वाला वह राक्षस नजर आता होगा जो चीत्कार करता हुआ छोटे-मंझोले दुकानदारों को लीलता हुआ, तबाही मचाता हुआ पूरे देश में घूम रहा है!

उसने क्या गलत सोचा होगा कि इस शहर में छोटे-छोटे दुकानदार उनसे सामान लेते रहेंगे और उसकी बादशाहत कायम रहेगी कि अचानक यह अंबानी कहाँ से आया और इतनी बड़ी जगह घेर कर बैठ गया कि उसके बाप के जैसे बीसियों घनश्याम सेठ उसमें समा जायें!

सेठ जी के लड़के ने चिढ़कर कहा- सर मॉल में सारी चीज नकली और पुरानी होती हैं, वह नया रैपर चढ़ा कर बेच रहे हैं। यह बात लोगों को समझ में नहीं आ रही है, कभी आएगी, बहुत गंदा खेल है यह, देखिएगा!

घनश्याम सेठ के लड़के को देखकर मुझे लगा लड़का कितना ज्ञानी है! मैंने कहा ठीक कह रहे हो दीपक!

अचानक लड़के ने कहा कि सर मेरे मोबाइल का स्क्रीन टूट गया है, एक नया लेना है, किसका ले लें?

– किसी का भी ले लो, सब ठीक ही रहता है! रेडमी का ले सकते हो। रहमान मियां के बेटे ने मोबाइल फोन की नई दुकान न्यू मार्केट में खोली है, देख लेना। वहां से भी ले सकते हो। मैंने अभी एक हेडफोन वहां से लिया था।

उसने मुझे ऐसे देखा जैसे मैंने कोई खराब या अनुचित बात कह दी हो।
वह हल्की हंसी हंसा। आप भी ना सर! मोबाइल दुकान से क्यों लें, वह भी एक कटुआ की दुकान से? अभी सेल चल रही है अमेजॉन पर फ्लिपकार्ट पर, वहीं से न मंगा लेंगे। ये लोग तो फिर भी दो चार सौ काट ही लेंगे एक मोबाइल पर!

अंबानी के सुपर मार्केट को गरियाने वाला यह लड़का मुझे होशियार लगा। चौकस, सतर्क, देशप्रेमी और लोकतांत्रिक विचारों वाला।

आखिर घनश्याम सेठ का लड़का जो ठहरा!

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विनय सौरभ

लेखक प्रसिद्ध युवा कवि हैं। सम्पर्क +917004433479, nonihatkakavi@gmail.com
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संजीव कुमार
Sanjeev kumar
11 months ago

Shandar kavitayen

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