Saturday, July 27 2024
‘पर्यावरण : संकट के बावजूद’ पर ‘बतरस’ में सार्थक चर्चा
अभिव्यक्ति के रंग
‘प्रवीण नाट्योत्सव’: खाँटी व विविधरंगी रंगकर्म की मिसाल
स्मृतियों का घर बुनता एक कवि
प्रतिरोध की भूमिका में खड़ा नाटक
बैल की आंख
उम्मीदों के आतिशदाने
कला-संस्कृति की बहुरंगी छटाएँ बिखेरता त्रिदिवसीय आयोजन
समलैंगिक विमर्श का ‘चोर दरवाज़ा’
मधुपर्व पर प्रेम-रस में भींगी ‘बतरस’
आदि-अंत से अनंत… होते गुरु – टी.एन.राय
अलविदा इमरोज दरवेश
गोस्वामी तुलसीदास: इन्द्रियविजय या आत्मसंघर्ष?
हिंदी आलोचना की आलोचना
योगिता यादव की कहानी ‘गंध’
अनुत्तरित संताप के अभिज्ञान का उपन्यास : चन्ना तुम उगिहो
बुद्ध की खोज
सेठ का बेटा
हमारे ‘श्रीधर भइया’ उर्फ़ सबके ‘बच्चा’
खानदान भर के चाचा : प्रभाकर त्रिपाठी
आतंकी हिंसा की खोल में ‘चुप’ के राज़ और भी हैं…!
रघुबर पहँ जाब…अब ना अवध में रहबै…
शैलेन्द्र के गीतों में मानवीय संवेदना
निकम्मों के कोरस का स्वर
कथा संवेद – 22
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डॉ. कमलेश वर्मा
डॉ. कमलेश वर्मा
लेख
samved
July 27, 2020
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श्रीप्रकाश शुक्ल : ग़ाज़ीपुर और बनारस की कविताओं में अन्तर
कमलेश वर्मा श्रीप्रकाश शुक्ल 1998 से 2005 तक ग़ाज़ीपुर में रहे। 2005 के अन्त में वे बनारस चले…
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