Sunday, September 8 2024
हर बशर को लाज़िम है सब्र करना चाहिए
‘पर्यावरण : संकट के बावजूद’ पर ‘बतरस’ में सार्थक चर्चा
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प्रतिरोध की भूमिका में खड़ा नाटक
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उम्मीदों के आतिशदाने
कला-संस्कृति की बहुरंगी छटाएँ बिखेरता त्रिदिवसीय आयोजन
समलैंगिक विमर्श का ‘चोर दरवाज़ा’
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सेठ का बेटा
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रघुबर पहँ जाब…अब ना अवध में रहबै…
शैलेन्द्र के गीतों में मानवीय संवेदना
निकम्मों के कोरस का स्वर
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‘स्वजन’ से ‘सर्वजन’ की काव्य–यात्रा
‘स्वजन’ से ‘सर्वजन’ की काव्य–यात्रा
मूल्यांकन
आनंद पाटील
May 13, 2021
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‘स्व’ से ‘स्वजन’,‘स्वजन’ से ‘सर्वजन’ की काव्य–यात्रा
मेरे विचार में किसी भी कवि अथवा कविता का यथार्थ केवल ‘स्व–पीड़ा’ मात्र नहीं है, जो कि प्रायः दलित…
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