मूल्यांकन
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‘स्व’ से ‘स्वजन’,‘स्वजन’ से ‘सर्वजन’ की काव्य–यात्रा
मेरे विचार में किसी भी कवि अथवा कविता का यथार्थ केवल ‘स्व–पीड़ा’ मात्र नहीं है, जो कि प्रायः दलित…
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लोकतंत्र और स्वाधीनता के पहरुआ कवि अनिल विभाकर
शिवदयाल ‘‘शाम होते ही नागिन-सी रात के फन काढ़ने से पहले बेखौफ, डटकर खड़े हो जाते हैं…
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अनधिकार बनाम अनाधिकार
बहादुर मिश्र प्रारम्भ में ही निवेदन कर दूँ कि व्याकरण के निकष पर ‘अनधिकार’ का प्रयोग साधु माना जाता…
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