रंगमंच
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क्लासिक नाटक की क्लास प्रस्तुति – चारुदत्तम्
पिछले दिनों मुम्बई के ‘थिएटरवाला’ नाट्यसमूह ने ‘नटेश्वर’ समूह के सहयोग से मुम्बई के वर्सोवा इलाक़े में स्थित आरामनगर…
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‘पर्यावरण : संकट के बावजूद’ पर ‘बतरस’ में सार्थक चर्चा
मुंबई की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘बतरस’ (एक अनौपचारिक सांस्कृतिक उपक्रम) ने हर माह के दूसरे शनिवार को अपने मासिक…
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‘प्रवीण नाट्योत्सव’: खाँटी व विविधरंगी रंगकर्म की मिसाल
पिछले दिनों पटना के ‘प्रवीण सांस्कृतिक मंच’ द्वारा आयोजित चार दिवसीय नाट्योत्सव देखने का अवसर बना, जो अपनी निर्मिति…
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‘नेहरू नाट्योत्सव : परम्परा एवं 2022 के नाटक’
मुम्बई में ‘नेहरू सेंटर’ ने पिछले दिनों अपना 24वां वार्षिक नाट्योत्सव मनाया। पिछले दो सालों का कोरोना न आया…
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नयी नयी-सी है पर तेरी रहगुज़र फिर भी…
फ़िराक़ साहब ने चाहे जिस भाव व कला के लिए कहा हो – ‘हज़ार बार जमाना इधर से गुजरा…
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‘पूर्वांचल के नायक’ में आधा सौ बच्चे मंच पर…
जब किसी नाट्यमंचन में 46 कलाकर आदि से अंत तक एक साथ मंच पर हों, तो उस नाटक की…
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‘बिहार में चुनाव लड़ने’ से ‘निमकी मुखिया’ बनने तक…
‘मंच’ (मुम्बई-पटना-छोटका कोपा) के विजय कुमार वह 21वीं सदी के शुरुआती दिन थे…। उन दिनों मुझे विश्वविद्यालय जाना…
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‘डिप्लोमा इन करप्शन’ के मंचन की जानिब से
पिछले शनिवार, 12 फ़रवरी की शाम सातबंगला, मुंबई में ‘वेदा फ़ैक्ट्री आर्ट स्टूडियो’ में सुरेंद्र चतुर्वेदी लिखित नाटक ‘डिप्लोमा…
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जीवन और रचना : आमने-सामने
निदा फ़ाज़ली का शेर है – ‘कहानी में तो किरदारों को जो चाहे बना दीजे; हक़ीक़त भी कहानी-कार हो,…
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