Thursday, March 28 2024
उम्मीदों के आतिशदाने
कला-संस्कृति की बहुरंगी छटाएँ बिखेरता त्रिदिवसीय आयोजन
समलैंगिक विमर्श का ‘चोर दरवाज़ा’
मधुपर्व पर प्रेम-रस में भींगी ‘बतरस’
आदि-अंत से अनंत… होते गुरु – टी.एन.राय
अलविदा इमरोज दरवेश
गोस्वामी तुलसीदास: इन्द्रियविजय या आत्मसंघर्ष?
हिंदी आलोचना की आलोचना
योगिता यादव की कहानी ‘गंध’
अनुत्तरित संताप के अभिज्ञान का उपन्यास : चन्ना तुम उगिहो
बुद्ध की खोज
सेठ का बेटा
हमारे ‘श्रीधर भइया’ उर्फ़ सबके ‘बच्चा’
खानदान भर के चाचा : प्रभाकर त्रिपाठी
आतंकी हिंसा की खोल में ‘चुप’ के राज़ और भी हैं…!
रघुबर पहँ जाब…अब ना अवध में रहबै…
शैलेन्द्र के गीतों में मानवीय संवेदना
निकम्मों के कोरस का स्वर
कथा संवेद – 22
परती परिकथा : पात्रों की बहुलता के बीच” एक जैविक आंचलिक उपन्यास”
ग्रामीण राजनीतिक विसंगतियाँ और चाक
स्त्री जीवन का दस्तावेज़-बेहटा कलाँ
‘क़ौल-ए-फ़ैसल’ : मौलाना आजाद की शानदार विरासत और हमारा वर्तमान
रुई लपेटी आग : लोक धारणा से इतर कथा धारणा
मजलूमों का मसीहा और बुद्धिजीवियों का नायक
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फणीश्वर नाथ रेणु
samved
September 27, 2020
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अगिनखोर : झूठे विद्रोह की कथा
यदि यथार्थ के विभिन्न अर्थों का कोई लोकतन्त्र है, जो वह केवल उस स्वतन्त्रता में ही उपलब्ध होता है,…
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