Wednesday, May 31 2023
निकम्मों के कोरस का स्वर
कथा संवेद – 22
परती परिकथा : पात्रों की बहुलता के बीच” एक जैविक आंचलिक उपन्यास”
ग्रामीण राजनीतिक विसंगतियाँ और चाक
स्त्री जीवन का दस्तावेज़-बेहटा कलाँ
‘क़ौल-ए-फ़ैसल’ : मौलाना आजाद की शानदार विरासत और हमारा वर्तमान
रुई लपेटी आग : लोक धारणा से इतर कथा धारणा
मजलूमों का मसीहा और बुद्धिजीवियों का नायक
जनसंवाद भाग 3 (शेष अंश)
जनसंवाद : भाग 3
‘समंदर का राजा’ बनाम ‘वह बूढ़ा और सागर’
‘नेहरू नाट्योत्सव : परम्परा एवं 2022 के नाटक’
जन संवाद: द्वितीय भाग
भविष्यत् में हिन्दी का रूप क्या हो?
मुकुटधर पाण्डेय के काव्य की पृष्ठभूमि
जन संवाद: प्रथम भाग
दीप यज्ञ बनाम मास कम्युनिकेशन
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो
नमस्ते समथर की कुन्तल: स्वावलंबी स्त्री
परिवर्तन का आगाज
गोपाल सिंह नेपाली के गीतों का क्रमिक विकास
इंदिरा आवास योजना
हिन्दी में छायावाद : संक्षिप्त तुलना
मुखिया जी और जनहित योजना
नयी नयी-सी है पर तेरी रहगुज़र फिर भी…
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नाटक
samved
March 24, 2015
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हमने लाहौर देख लिया है
‘जिन लाहौर न देख्या ओ जम्माइ नइ’ असगर वजाहत का ख्याति-प्राप्त नाटक है. इस नाटक पर सधा हुआ लिखा…
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