फणीश्वर नाथ रेणु
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लोक मान्यताओं में सनी सिरपंचमी का सगुन
सुभाष चन्द्र कुशवाहा फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘सिरपंचमी का सगुन’ अचर्चित कहानियों में मानी जाती है। इस पर…
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मैला आँचल में प्रेम और काम
अर्थात् लिंग-भेदी नैतिकता की सर्जनात्मक आलोचना विनोद तिवारी यह मैला आँचल का एक सर्वथा नये ढंग का ‘पाठ’ है,…
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फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ का कवि-कर्म
बहादुर मिश्र सामान्यतः हर साहित्यकार की साहित्य-यात्रा कविता-लेखन से शुरु होती है। ‘आदर्श राज्य’ और ‘दार्शनिक शासक’ की…
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चटाक्…चट्..धा बनाम हड्डियों का कोरस
अरविन्द कुमार मई 1943 में बंगाल में भूख से मरने की पहली रिपोर्ट आयी और 1944 में रेणु ने…
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रसप्रिया : एक पुनर्पाठ
रविशंकर सिंह कोई भी रचनाकार केवल अपनी परम्परा का निर्वाह नहीं करता, बल्कि वह उस परम्परा का…
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विघटन के क्षण : गाँव से शहर की ओर
मृत्युंजय पाण्डेय प्रेमचन्द आजीवन संयुक्त परिवार के समर्थक रहे। परिवार का टूटना उनसे बर्दाश्त नहीं होता है। परिवार…
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रेणु : उदात्त पात्रों के रचनाकार
योगेन्द्र लोक संवेदनाओं के महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु ने ‘संवदिया’ नामक कहानी 1962 के अक्टूबर माह में लिखी।…
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‘मृत्यु-संगीत’
पल्लवी प्रसाद यह फणीश्वरनाथ रेणु का जन्मशती वर्ष है और पूरी दुनिया कोविड नामक वैश्विक महामारी से जूझ…
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औराही हिंगना की यात्रा
देव प्रकाश चौधरी चलते हुए मन‘में-में‘ करता है, ‘हक-हक‘ करता है, ‘अस-बस‘ करता है और कभी-कभी‘कस -मस‘ भी…
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मैला आँचल: पुनर्पाठ
गजेन्द्र पाठक पिछले डेढ़ महीने से महामारी के अदृश्य विषाणुओं के भय से घर में बन्द होने की मानसिक…
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