सत्यदेव त्रिपाठी
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संस्मरण
हमारे ‘श्रीधर भइया’ उर्फ़ सबके ‘बच्चा’
श्रीधर भैया अपने घर की अपनी पीढ़ी में सबसे बड़ी संतान थे, सो पूरे घर ने प्यार में उन्हें…
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नाटक
आतंकी हिंसा की खोल में ‘चुप’ के राज़ और भी हैं…!
अंधेरी उपनगर, मुम्बई के ‘सात बंगला’ इलाक़े में स्थित ‘आराम नगर’ मुहल्ले में रंगमंच के नये-नये केंद्र बन रहे…
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संस्मरण
रघुबर पहँ जाब…अब ना अवध में रहबै…
सबसे ऊपर लिखी पंक्ति ‘तुम्हें पता है, मेरी माँ है’ एम.ए. में भाषाविज्ञान पढ़ाने वाले मेरे गुरु डॉ. बंसीधर…
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नाट्य समीक्षा
‘समंदर का राजा’ बनाम ‘वह बूढ़ा और सागर’
हिन्दी नाट्य-जगत की अज़ीम शख़्सियत नादिरा ज़हीर बब्बर द्वारा निर्देशित एवं उनके विख्यात रंगसमूह ‘एकजुट’ के नये नाटक ‘समंदर…
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रंगमंच
‘नेहरू नाट्योत्सव : परम्परा एवं 2022 के नाटक’
मुम्बई में ‘नेहरू सेंटर’ ने पिछले दिनों अपना 24वां वार्षिक नाट्योत्सव मनाया। पिछले दो सालों का कोरोना न आया…
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रंगमंच
नयी नयी-सी है पर तेरी रहगुज़र फिर भी…
फ़िराक़ साहब ने चाहे जिस भाव व कला के लिए कहा हो – ‘हज़ार बार जमाना इधर से गुजरा…
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रंगमंच
‘पूर्वांचल के नायक’ में आधा सौ बच्चे मंच पर…
जब किसी नाट्यमंचन में 46 कलाकर आदि से अंत तक एक साथ मंच पर हों, तो उस नाटक की…
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संस्मरण
52 सालों बाद दादीमाँ के मायके में एक दिन…
दादीमाँ का मायका-याने मेरे पिता-काका…आदि का ननिहाल और मेरा अजियाउर। दादी को आजी भी कहा जाता है-दक्षिण भारत में…
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संस्मरण
घाघ की कविताई बजरिए स्वराज आश्रम…
लोक कवि घाघ से प्रथम परिचय – दर्जा पाँच में घाघ की कुछ पंक्तियाँ मिली थीं – ‘छोटी सींग…
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संस्मरण
चौथेपन पायउं प्रिय ‘काया’…
(कबहुँ नाहिं व्यापी अस माया) मेरी प्रिय काइया को घर में देखते ही बेटे के सभी मित्र व…
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