संवेद

संवेद का नया प्रकल्प

 

कहानी का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि सभ्यता का इतिहास। फर्क सिर्फ इतना है कि पहले कहानियाँ कही सुनी जाती थीं और अब वे लिखी जाती हैं। कहने-सुनने से शुरू हो कर लिखने-छ्पने तक पहुँची यह परम्परा अब संचार के नये माध्यमों के साथ कदम ताल करती हुई प्रसारित होने तक के मुकाम तक आ पहुँची है। वेबसाइट और सोशल मीडिया के भिन्न प्लेटफॉर्म जैसे आधुनिक माध्यमों ने न सिर्फ आज सम्प्रेषण को सरल और सुगम बनाया है बल्कि इसने साहित्य के लिए नये पाठक वर्ग का निर्माण भी किया है। साढ़े पाँच हजार से ज्यादा फाओलोर्स वाला संवेद का फेसबुक पेज हो या साढ़े तीन हजार से ज्यादा सदस्यों वाला संवेद का व्हाट्सएप ब्रॉडकास्ट समूह, इसके माध्यम से संवेद की सामग्री हम एक बड़े पाठक समूह तक लगातार पहुँचाते रहे हैं।

samved

पिछले कुछ वर्षों में कहानी जिस तरह साहित्य की केन्द्रीय विधा के रूप में उभर कर आयी है, उसे हमने समय-समय पर रेखांकित भी किया है। समय, समाज और भूमण्डलोत्तर कहानी तथा ‘भूमण्डलीकरण के दौर में हिन्दी कहानी samvedजैसे विशेषांक उसी दिशा में की गयी संवेद की पहल के उदाहरण हैं। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए हमारे समय की महत्त्वपूर्ण कहानियों को सम्प्रेषण के नये माध्यमों से आप तक पहुँचाने के लिए कथा-संवेद नाम से हम एक नया प्रकल्प शुरू करने जा रहे हैं। इस आयोजन के हर अंक में संवेद के पोर्टल samved.sablog.in पर एक नयी कहानी प्रकाशित की जाएगी। हम चाहेंगे कि सम्भव हो तो लेखक की आवाज़ में उस कहानी का आडिओ/वीडियो संवेद के फेसबुक पेज पर भी प्रसारित किया जाए। संवेद के व्हाट्सए ब्रॉडकास्ट समूह में भी इन कहानियों का लिंक प्रसारित की जाएगा।

भविष्य में संवेद के मुद्रित संस्करणों में भी इन कहानियों के प्रकाशन की सम्भावना पर विचार किया जा सकता है। संवेद के इस नये प्रकल्प के लिए कहानियों का चयन सुपरिचित कथाकार-आलोचक राकेश बिहारी करेंगे।

rakesh bihari विगत वर्षों में कथालोचना के क्षेत्र में किया गया उनका कार्य महत्त्वपूर्ण और उल्लेखनीय है। दिसम्बर 2013 में प्रकाशित संवेद के बहुप्रशंसित विशेषांक ‘समय, समाज और भूमण्डलोत्तर कहानी’ का सम्पादन भी उन्होने ही किया था। फिलहाल ‘कथा-संवेद’ का अंक महीने में एक बार आया करेगा। भविष्य में हम इसे पाक्षिक करने पर भी विचार कर सकते हैं।

पिछले तीस वर्षों में संवेद ने साहित्य, विचार और संस्कृति की दुनिया में जो हस्तक्षेप किया है, वह आप मित्रों के प्यार और सहयोग के बिना असम्भव था। हमें विश्वास है कि ‘कथा-संवेद’ को भी आप सभी का भरपूर सहयोग और समर्थन मिलेगा।

संवेद के इस नये आयोजन के लिए आपकी मौलिक, अप्रकाशित और अप्रसारित कहानियाँ आमन्त्रित हैं। कृपया यूनिकोड में ही टाइप की हुई अपनी कहानी इस ईमेल पर भेजें। samvedmonthly@gmail.com

कहानी के चयन के बाद ही उसकी ऑडियो/वीडियो फाइल मंगवाई जाएगी।

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साहित्य, विचार और संस्कृति की पत्रिका संवेद (ISSN 2231 3885)
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