satyadev tripathi
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रंगमंच
‘नेहरू नाट्योत्सव : परम्परा एवं 2022 के नाटक’
मुम्बई में ‘नेहरू सेंटर’ ने पिछले दिनों अपना 24वां वार्षिक नाट्योत्सव मनाया। पिछले दो सालों का कोरोना न आया…
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रंगमंच
नयी नयी-सी है पर तेरी रहगुज़र फिर भी…
फ़िराक़ साहब ने चाहे जिस भाव व कला के लिए कहा हो – ‘हज़ार बार जमाना इधर से गुजरा…
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रंगमंच
‘पूर्वांचल के नायक’ में आधा सौ बच्चे मंच पर…
जब किसी नाट्यमंचन में 46 कलाकर आदि से अंत तक एक साथ मंच पर हों, तो उस नाटक की…
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संस्मरण
घाघ की कविताई बजरिए स्वराज आश्रम…
लोक कवि घाघ से प्रथम परिचय – दर्जा पाँच में घाघ की कुछ पंक्तियाँ मिली थीं – ‘छोटी सींग…
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रंगमंच
‘डिप्लोमा इन करप्शन’ के मंचन की जानिब से
पिछले शनिवार, 12 फ़रवरी की शाम सातबंगला, मुंबई में ‘वेदा फ़ैक्ट्री आर्ट स्टूडियो’ में सुरेंद्र चतुर्वेदी लिखित नाटक ‘डिप्लोमा…
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संस्मरण
भोजपुरी कविता के सफरमैना हरिराम द्विवेदी को याद करते हुए…
सत्यदेव त्रिपाठी हनुमंत नायडू की कविता है – ‘रोना तक भूल गया, मन इतना रोया है’। वही हाल मेरे…
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