लेख
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श्रीप्रकाश शुक्ल : ग़ाज़ीपुर और बनारस की कविताओं में अन्तर
कमलेश वर्मा श्रीप्रकाश शुक्ल 1998 से 2005 तक ग़ाज़ीपुर में रहे। 2005 के अन्त में वे बनारस चले…
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राष्ट्रभाषा का प्रश्न
गजेन्द्र पाठक भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के इतिहास में 1942 के महत्त्व से हम सब परिचित हैं। लेकिन आज…
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आलोचना के शोक पर आलोचक का लास्य नृत्य
भरत प्रसाद युग की अपनी अपराजेय चाल, ईसा पूर्व की अनन्त सदियाँ। ईसोत्तर – प्रथम, द्वितीय, तृतीय, 10वीं…
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विघटन के क्षण : गाँव से शहर की ओर
मृत्युंजय पाण्डेय प्रेमचन्द आजीवन संयुक्त परिवार के समर्थक रहे। परिवार का टूटना उनसे बर्दाश्त नहीं होता है। परिवार…
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असहमति का विवेक
अच्युतानंद मिश्र प्रेमचन्द ने हिंदी कहानी की भावभूमि को बदला। न सिर्फ उन्होंने आदर्शवाद से होते हुए यथार्थवाद की जमीन…
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दलित व्यथा की कथा
वैभव सिंह ओमप्रकाश वाल्मीकि ने अपनी आत्मकथा, कथा, कविता और आलोचना ग्रंथ से हिंदी लेखन में दलित चेतना के लिए…
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सम्मोहन और असहमति के बीच
राकेश बिहारी प्रियंवद हिन्दी के उन विरले कथाकारों में से एक हैं जिनसे आप असहमत होते हुये भी अथाह…
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आधुनिक कथा–साहित्य और बिहार का यथार्थ
रमेश कुमार गुप्ता जहाँ सबसे अधिक दमन होता है, मुक्ति की शुरुआत वहीं से होती है’,वरिष्ठ कथाकार एवं प्रतिष्ठित…
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कविताओं में उभरते सवाल–दर–सवाल : मोहनदास नैमिशराय
कविताओं में उभरते सवाल–दर–सवाल : मोहनदास नैमिशराय (बस बहुत हो चुका : ओम प्रकाश बाल्मीकि) हिन्दी में दलित साहित्य मराठी…
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