सिनेमा
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आदिवासी चेतना की प्रथम पुकार ‘मृगया’ फ़िल्म के संदर्भ में
साहित्य समाज को समरस बनाने का संकल्प लेकर चलता है। प्रत्येक भाषा और समाज के साहित्य की अपनी विशिष्टाएँ…
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मानवीयता की विजय की गाथा
धीरंजन मालवे (मुम्बई मेरी जान : निशिकान्त कामत) भारत में सिनेमा की विधा के प्रादुर्भाव के सौ से…
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सिनेमाघरो से बाहर चवन्नी छाप
महाबाज़ार ने सिनेमाघरों को मल्टीप्लैक्स ऐशगाहों में तब्दील कर दिया है- जो उनके ग्लोबल कारिन्दों के लिए पाँच दिन को…
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ग्लोबल समय में सिनेमा
प्रियदर्शन हमारे देश में उदारीकरण के प्रभावों की चर्चा अब तक मूलत: आर्थिक और कुछ हद तक सामाजिक संदर्भों में होती…
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प्रतिरोध की नई सिनेमाई अभिव्यक्ति और उसके मायने
संजय जोशी आज के जमाने में जैसे ही कोई महत्वपूर्ण घटना घटती है उस घटना की वीडियो क्लिपिंग मुख्यधारा न्यूज़…
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भारतीय मध्यवर्ग के सपने और यथार्थ को एक साथ बयां करती फिल्म ‘बागबान’
भारतीय मध्यवर्ग के सपने और यथार्थ को एक साथ बयां करती फिल्म विधि शर्मा अक्तूबर, 2003 में…
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हिंदी सिनेमा में भूमंडलीकरण, वैकल्पिक संस्कृति और स्त्री
‘आजा नच ले’ -सुधा सिंह ‘आजा नच ले’ माधुरी दीक्षित नेने की हिंदी सिनेमा में पुनर्वापसी वाली फिल्म…
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