समीक्षा
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बैल की आंख
चर्चित कथाकार संतोष दीक्षित का चौथा उपन्यास है ‘बैल की आंख’। इसमें एक पशु चिकित्सक की आंखों से देखी…
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कला-संस्कृति की बहुरंगी छटाएँ बिखेरता त्रिदिवसीय आयोजन
चित्रांगन अंतरराष्ट्रीय फ़िल्म-नाट्योत्सव, रीवा मध्यप्रदेश के उत्तरी भूभाग में बसा शहर रीवा अपनी ऐतिहासिक विरासत एवं सांस्कृतिक समृद्धि के…
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हिंदी आलोचना की आलोचना
सुप्रसिद्ध आलोचक और भाषाविद अमरनाथ की पुस्तक ‘हिंदी आलोचना का आलोचनात्मक इतिहास’ 21 सोपानों में विभक्त और चार…
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योगिता यादव की कहानी ‘गंध’
कबीरदास के प्रचलित दोहे ‘कस्तूरी कुंडली बसै, मृग ढूंढे बन माहि…’ और योगिता यादव की कहानी ‘गंध’ में एक…
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अनुत्तरित संताप के अभिज्ञान का उपन्यास : चन्ना तुम उगिहो
कोई भी समाज जब विविधताओं से भरा होता है तब स्वाभाविक रूप से उस समाज के भीतर किसी भी…
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ग्रामीण राजनीतिक विसंगतियाँ और चाक
राजनीति हमारे समाज का हिस्सा है, समाज इससे कहीं भी अछूता नहीं है। सर्वहित के लिए की गई…
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‘समंदर का राजा’ बनाम ‘वह बूढ़ा और सागर’
हिन्दी नाट्य-जगत की अज़ीम शख़्सियत नादिरा ज़हीर बब्बर द्वारा निर्देशित एवं उनके विख्यात रंगसमूह ‘एकजुट’ के नये नाटक ‘समंदर…
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नमस्ते समथर की कुन्तल: स्वावलंबी स्त्री
अपनी ग्रामीण स्त्री पात्र की सशक्त छवि को अपने रचना संसार में उकेरने वाली मैत्रेयी पुष्पा ने विज़न की…
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नये विमर्श पैदा करती कहानियाँ – प्रश्न पानी से नहीं धुलते
सन 1803 में इंशा अल्लाह खान कृत कहानी रानी केतकी की कहानी को हिन्दी की पहली कहानी कहा जाता…
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आदिवासी चेतना की प्रथम पुकार ‘मृगया’ फ़िल्म के संदर्भ में
साहित्य समाज को समरस बनाने का संकल्प लेकर चलता है। प्रत्येक भाषा और समाज के साहित्य की अपनी विशिष्टाएँ…
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