समीक्षा
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ग्रामीण राजनीतिक विसंगतियाँ और चाक
राजनीति हमारे समाज का हिस्सा है, समाज इससे कहीं भी अछूता नहीं है। सर्वहित के लिए की गई…
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‘समंदर का राजा’ बनाम ‘वह बूढ़ा और सागर’
हिन्दी नाट्य-जगत की अज़ीम शख़्सियत नादिरा ज़हीर बब्बर द्वारा निर्देशित एवं उनके विख्यात रंगसमूह ‘एकजुट’ के नये नाटक ‘समंदर…
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नमस्ते समथर की कुन्तल: स्वावलंबी स्त्री
अपनी ग्रामीण स्त्री पात्र की सशक्त छवि को अपने रचना संसार में उकेरने वाली मैत्रेयी पुष्पा ने विज़न की…
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नये विमर्श पैदा करती कहानियाँ – प्रश्न पानी से नहीं धुलते
सन 1803 में इंशा अल्लाह खान कृत कहानी रानी केतकी की कहानी को हिन्दी की पहली कहानी कहा जाता…
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आदिवासी चेतना की प्रथम पुकार ‘मृगया’ फ़िल्म के संदर्भ में
साहित्य समाज को समरस बनाने का संकल्प लेकर चलता है। प्रत्येक भाषा और समाज के साहित्य की अपनी विशिष्टाएँ…
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सदानन्द शाही का कवि-कर्म
सदानन्द शाही की कविताएँ हर उस जगह जाती हैं जहां उन्हें जाना चाहिए कपिलदेव सदानन्द शाही दिशाओं के नहीं, दशाओं…
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राकेश तिवारी की कहानियाँ : फंतासी की नज़र से यथार्थ की तस्वीर
(एक गहरा सच: पंक्तियों के दरम्यान) मुक्तिबोध ने कला के ‘तीसरे क्षण’ में जिन तीन क्षणों की बात की…
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सिसकियों की संगत पर प्रेम की पुकार
ज्योतिष जोशी (1) देश की स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने को हैं। इन…
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