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अलविदा इमरोज दरवेश
इमरोज़ नहीं रहे। चला गया दरवेश! तमाम ज़िंदगी अमृता जी के दर पर अलख जगा कर, धूना तपा,…
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वैश्विक महामारी में ‘शरणदाता’ कहानी के देविन्दरलाल जी
जब से कोरोना ने वैश्विक महामारी का रूप लिया है, तब से ही पूरे देश में इस बीमारी ने…
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बाज़ार, माल और मूल्य के बीच साहित्य का पक्ष
विनोद तिवारी जातीय स्मृति के तर्क से भी और सामाजिक-ऐतिहासिक-राजनीतिक परविर्तनों और विकास की दृष्टि से भी, किसी भी…
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सुख के संग्रह के युग में प्रलय का मिथक
सुनीता गुप्ता भारतीय ही नहीं, विश्व की अनेक सभ्यताओं में प्रलय का मिथक मिलता है। भारतीय साहित्य में…
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हिन्दी आलोचना के शीर्ष पुरुष नन्दकिशोर नवल
हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक और मूर्धन्य डॉ. नन्दकिशोर नवल का मंगलवार, 12 मई की रात निधन हो गया। 30…
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आचार्य शिवपूजन सहाय की रंग-दृष्टि
अनिल शर्मा आचार्य शिवपूजन सहाय हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं. पत्रकारिता एवं गद्य-लेखन के क्षेत्र में इनकी विशिष्ट…
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पंकज मित्र : अनगिन में अकेला कहानीकार
मृत्युंजय पाण्डेय 1990 के बाद हिन्दी कथा-साहित्य में एक नयी पीढ़ी का आगमन हुआ। ये नयी पीढ़ी अपनी पूर्ववर्ती पीढ़ी…
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संवेद-26 ( SAMVED-26 ), मार्च 2010, ‘समय संवाद करना चाहता है’ (गजल संग्रह) – रौशन लाल ‘रोशन’
संवेद-26 ( SAMVED-26 ), मार्च 2010, ‘समय संवाद करना चाहता है’ (गजल संग्रह) – रौशन लाल ‘रोशन’ संवेद (हिन्दी मासिक…
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