सपने जमीन पर

जन संवाद: प्रथम भाग

 

अब तक आपने पढ़ा: मंडल जी भागलपुर से वापिस आने के बाद शोध के दौरान उपजे सपनों और संकल्पों को मूर्त रूप देने के लिए “बीएपीएल” पार्टी का गठन करते हैं और जनता के साथ उनके जन संवाद का क्रम चल पड़ता है। अब आगे

           जन संवाद: प्रथम भाग

 मंडल जी के जन संवाद में दिनोंदिन एक एक गहराई, एक पैनापन आती जा रही थी। आम जनता की भाषा में सारे तथ्यों को बड़ी स्पष्टता के साथ वे जनता के दिलोदिमाग तक पहुंचाने में कामयाब हो रहे थे। आज वह पूषा ब्लॉक के जनसभा को संबोधित कर रहे थे। जनसभा में ज्यादातर लोग मजदूर, कामगार, डेली वेजेस कर्मचारी वैगरह थे।  मंडल जी कह रहे थे, “यह जो बड़ी-बड़ी बुलंद इमारतें बनती हैं, खेतों में जो अन्न उगाए जाते हैं, इन सबों के नींव में आपका श्रम है, आपका पसीना है, पर ऐसा कौन है जो विकास नहीं चाहता। भले ही कोई इसलिए मजदूरी करने को विवश हुआ क्योंकि उसके पिता उसे पढ़ा नहीं पाए पर हर किसी की यह तमन्ना जरूर रहती है कि जिस गरीबी की पाट में उसके पिता पिसते रहे वह, पिसता रहा उनके बच्चों को वह दिन ना देखना पड़ें। चाहे उसे कितनी भी मेहनत क्यों न करनी पड़े वह अपने बच्चे को अच्छी सी अच्छी तालीम देना चाहता है, पर शिक्षा का ऐसा बाजारीकरण हुआ है कि आप गरीब लोग जो बमुश्किल महीने में 10,000- 12,000 तक कमा पाते हैं वे बड़े बड़े प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने की हिम्मत नहीं कर सकते। बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूल में जिनकी मासिक फीस 3,000 प्रति विद्यार्थी से शुरू होती है, क्या आप पढ़ा पाएंगे? आप तो कर्ज लेकर भी नहीं पढ़ा पाएंगे। मजबूरी में सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना पड़ता है जिसके अंदर मिड डे मील तो मिलता है, साइकिल मिलती है पोशाक भी मिलता है बस गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती।

       तो मित्रों न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी। ना आपके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे, ना वे मजदूरी के स्तर से ऊपर उठ पाएंगे। पर संविधान में पिछड़ों के लिए यदि आरक्षण का प्रावधान है तो इसका हकदार किसे होना चाहिए? क्यों पिछड़ा वर्ग पर केवल जाति हावी है! मैं कहता हूं सारे गरीब एक है। और सब को हक है कि वह अपनी गरीबी दूर कर सके। जाति में विभाजित कर ये गरीबों की एकता को तोड़ना चाहते हैं। हम उनके इस विभाजनकारी मंसूबे को कामयाब नहीं होने देंगे। हम गरीबों ठाना है, जाति विभेद मिटाना है,गरीब एकता के दम पर गरीबों के सपनों को जमी पर लाना है। हमारा पहला सपना बच्चों को अच्छी तालीम, दूसरा सपना हर हाथ को काम और हमारे भविष्य की बुनियाद इन्हीं दो चीजों पर टिकी हुई है। है। यदि आरक्षण के ऊपर केवल गरीबों का हक होगा तो शिक्षा के बड़े बड़े संस्थानों उनका दाखिला मुमकिन हो पायेगा और इस प्रकार आपका पहला सपना सच हो सकेगा पर इसके राह में कई वैधानिक दिक्कतें हैं।

         सबसे बड़ा दिक्कत है क्रीमी लेयर का वर्तमान दायरा। वर्तमान दायरे को घटाने की जरूरत है। ताकि केवल गरीब लाचार व्यक्तियों को ही इसका लाभ मिले। उन्हें नहीं जो अपने बच्चे को शानदार तालीम देने की औकात रखते हैं। हमारी बीएपीएल पार्टी आप गरीबों के मजबूत संगठन के बदौलत आप गरीबों के मजबूत संगठन के बदौलत जातिगत आरक्षण को पूर्ण तरीके से समाप्त कर, नया आर्थिक आरक्षण नीति लाएगी। जो वैसे हर गरीब को लाभ पहुंचाएगा जिसकी आमदनी 15000 से कम है। इसप्रकार आपके पहले सपने को हम साकार कर पाएंगे। अब हम आपके दूसरे सपने की बात करते हैं यानी हर हाथ को काम। इसे हम रोजगारपरक शिक्षा और लघु उद्योग के माध्यम से पूरा करेंगे। दरअसल गरीबी दूर करने के तरीकों के लिए हमने एक फार्मूला बनाया है जिसे आप “आ ल रो भी” के सूत्र रूप में याद रख सकते हैं। इसका प्रथम अक्षर आ का तात्पर्य इसी आर्थिक आरक्षण से है।  अब “आ ल रो भी” सूत्र का दूसरा अक्षर है “ल” ल, का मतलब लघु उद्योग। यानी हर हाथ को काम। हमें मुफ्त का कुछ नहीं चाहिए। मुफ्तखोरी की आदत दिमाग को सुस्त और शरीर को आलसी बना देती हैं। जो जितना काम करेगा वह उतना ही ज्यादा कमाएगा। काम चोरी और आलस को लात मारेंगे और खून पसीने की कमाई को गले लगाएंगे। जिस दिन हम लोग मुफ्तखोरी को लात मार कर इमानदारी अपना लेंगे हमें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा। जो मुफ्तखोरी के चक्कर में रहेगा वह कभी भी गरीबी रेखा के ऊपर नहीं जा सकेगा। और यदि कोई मुफ्तखोरी के बदौलत अमीर आदमी बनना चाहता है तो उसका तो बस एक ही तरीका है कि अपना जमीर बेच कर भ्रष्ट नेता और ठेकेदार का दलाल बन जाये और अपने स्वार्थ के लिए अपने ही लोगों का खून चूसे।  संकल्प लें कि हम ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे। गरीब एक होकर वोट करेगा। तभी सत्ता परिवर्तित होगी, तभी नीतियां बदलेगी। नहीं तो हम गरीब के गरीब ही बने रहेंगे।

     सूत्र का तीसरा अक्षर है है “रो” यानी, रोजगार परक शिक्षा…।” मंडल जी कहे जा रहे थे और जनता मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुने जा रही थी। भ्रष्टाचार के विरोध के बारे में जब बातें शुरू हुईं तो लोग जैसे जोश से भर उठे। मंडल जी कह रहे थे, “दिक्कत यह है कि जब तक हम टेबल की इस तरफ हैं तबतक तो भ्रष्टाचार को हम खूब कोसते हैं,पर जैसे ही टेबल के उस पार पहुंच कर अफसर या नेता बन जाते हैं, सत्ता में आ जाते हैं, तो आकंठ भ्रष्टाचार में डूब जाते हैं। ऐसी ऐसी नीतियां भी बनाई हुईं हैं कि आकंठ भ्र्ष्टाचार में डूबने की सुविधा बनी रहे। फिर बगैर घूस लिए कोई काम नहीं करता। व्यवस्था के शीर्ष पर पर बैठा आदमी काम करने का करोड़ रुपए मांगता है, तो उसके नीचे का आदमी लाख और उसके नीचे का आदमी हजार। तो शोषण की कड़ी ऊपर से नीचे तक जारी रहती है। और शोषण की कड़ी का अंतिम पायदान है गरीब। चूंकि गरीब भ्रष्टाचार के पायदान की अंतिम कड़ी है, उसके नीचे फिर कोई नहीं है तो वह बेचारा बस शोषित होता है।  तो शोषण की इस कड़ी को बनाए रखने के लिए, भ्रष्टाचार की फसल उगाने के लिए नीतियां बनाई जाती हैं। आप हमारी पार्टी को वोट दें, हम ऐसी फुलप्रूफ नीतियां बनाएंगे कि भ्रष्टाचारियों की जगह बस जेलके सलाखों के पीछे होगी। जो अरबों के घोटाले होते रहते हैं उसे रोककर हम उन पैसों को आपके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर, आपके रोजगार प्रशिक्षण पर, लघु उद्योग की स्थापना पर खर्च करेंगे।  और हर गरीब को गरीबी से निजात पाने का सपना पूरा हो सकेगा।

      पूरे जोश से बोलिए, हम गरीब सब एक हैं, एक हैं एक हैं। जाति धर्म सब एक हैं एक है एक है। हमने अब ये ठानी है, अपनी गरीबी मिटानी है। बीएपीएल पार्टी ने ठानी है गरीबों की गरीबी मिटानी है, मिटानी है, मिटानी है। जय हिंद, जय भारत। और इतना कह कर मंडल जी ने अभिवादन में हाथ जोड़े और पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा

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डॉक्टर प्रभाकर भूषण मिश्रा

जन्म स्थान : जमालपुर (मुंगेर), बिहार, शिक्षा: एमबीबीएस, एमडी (मेडिसिन) रुचियां: पेंटिंग एवं लेखन
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