सपने जमीन पर

जन संवाद: द्वितीय भाग

 

पिछले अंक में आपने पढ़ा: मंडल जी समाज को नई दिशा देने का संकल्प ले लिया था और जन संवाद के जरिए अपने बीएपीएल पार्टी को के विचारों को जन संवाद के जरिये लोगों तक पहुंचाने में लगे हुए थे। पिछली बार उनका संबोधन आर्थिक रूप से पिछड़े समुदाय के बीच में था और इस बार का जनसंवाद मध्यम वर्गीय परिवार के लोगों से होने वाला है जहां उनकी समस्याएं भी दिखेंगी और उनका संभावित हल भी दिखेगा 

   जन संवाद:द्वितीय भाग

व्हाट्सएप पर कई खबरें ऐसी होती हैं जो आपको सोचने के लिए बाध्य कर देती है। ऐसी ही एक खबर आई हुई थी। किसी प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के बारे में, तीन लाख करोड के कर्ज में डूबे प्रांत में मुफ्त की बिजली और किसानों के कर्ज माफी का ऐलान किया जा रहा था। यह किसी को भी सोचने के लिए बाध्य कर सकती है कि नेता लोग देश को किस दिशा में ले जाना चाह रहे हैं। इनके अंदर दूरदर्शिता नाम की कोई चीज बची भी है या नहीं। मुफ्त खोरी को बढ़ावा देने वाली इस मानसिकता के पीछे जो वोट बैंक को लुभाने की जो राजनीति काम कर रही है वह देश के भविष्य को किस अंधेर की तरफ ले जा रही है,  उसकी क्या किसी को फिक्र है? मुफ्त खोरी के इस प्रलोभन के शिकार केवल गरीब लोग ही नहीं है,  मिड्ल इनकम ग्रुप वाले लोगों की खासी बड़ी जनसंख्या ने भी इन मुफ्त का वादा करने वाले नेताओं को जो वोट देकर उनकी हौसला अफजाई की थी वह बेहद चिन्ताजनक थी। आज का भाषण भागलपुर के सैंडिस कंपाउंड में था और ज्यादातर दर्शक मिडल इनकम ग्रुप के ही थे। इन लोगोँ को मुफ्तखोरी के प्रलोभन के मकड़जाल से बाहर निकालना था। मंडल जी का भाषण शुरू हुआ। भाषण के मध्य में वह बता रहे थे, “गरीबों को मुफ्त सुविधाएं देने के नाम पर समाज के मेहनती वर्ग,  इनकम टैक्स देने वाले मध्यम आयवर्ग वाले लोगों पर टैक्स बढ़ाया गया और उस टैक्स के पैसे से अनाप-शनाप तरीके से गरीबों को मदद पहुंचाने के नाम पर पैसों की लूट हुई, घोटाले हुए, मुफ्त खोरी की आदत लगा चुके गरीब तो गरीब ही बने रहेंगे,  कभी उद्यमी नहीं बन पाएंगे। और जो छोटे-छोटे मोटे उद्यमी हैं, मध्यमवर्गीय परिवार से हैं उनको भी तरह तरह से लूटा गया,  टैक्स के माध्यम से,  व्यवसाय में तब्दील हो चुकी है शिक्षा व्यवस्था के माध्यम से। इस प्रकार दोनों को हमेशा गरीब बनाए रखने की कोशिश जारी है। उधर जो काफी ज्यादा अमीर हैं वह तो बैंकों और बड़े नेताओं के मिलीभगत से अरबों का घोटाला कर इस देश को छोड़ विदेशों में मजे कर रहे हैं। इधर मिडल इनकम ग्रुप वाले टैक्सपेयर मजबूरी में इस देश के श्रवण कुमार बने बैठे हैं,  जो एक तरफ तो गरीबों को मुफ्त में दी जाने वाली खर्चों को बहन कर रहे हैं तो दूसरी तरफ अरबों का घोटाला कर चुके अरबपतियों ने जो देश को चूना लगाया है उसकी भरपाई भी कर रहे हैं। नेता, कॉरपोरेट जगत के स्वामी तथा भ्रष्टाचार की फसल उगाने वाले नीतियों के जनक उच्च पदस्थ प्रशासनिक पदाधिकारी आदि ने मिलकर जो बड़े-बड़े घोटाले किए हैं उनकी लंबी फेहरिस्त है। कुछ प्रमुख घोटाले जो इस देश में हुए उन्हें मैं दोहराना चाहूंगा: बोफोर्स 64 करोड, भूरिया घोटाला 1334 करोड़, चारा घोटाला 950 करोड, शेयर बाजार घोटाला 400 करोड़,  सत्यम घोटाला 700 करोड, स्टांप पेपर घोटाला 4300 करोड़, कॉमन वेल्थ गेम घोटाला 70000 करोड,  2G स्पेक्ट्रम घोटाला 1, 67, 000 करोड, अनाज घोटाला 2 लाख करोड़, कोयला खदान घोटाला 192 करोड़। भारत का लगभग 280 लाख करोड़ तो स्विस बैंक में जमा है।

    गरीबों को मदद देने के नाम पर शुरू हुई मुफ्तखोरी की योजनाओं का दायरा दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। कौन पार्टी कितना मुफ्त दे सकता है इसकी होड़ लगी हुई है। अब मध्यम वर्गीय ग्रुप से भी मुफ्त बिजली, पुराने कर्ज माफी जैसे वायदे किए जा रहे हैं। अरे मध्यम वर्गीय ग्रुप को राहत ही पहुंचानी है तो टैक्स घटाने का वादा करो ना, पर ऐसा ये कभी नहीं करेंगे। अभी तो श्रवण कुमार के कंधों पर और भी बोझ डालना है। उसी बोझ से कुछ निकालकर उन्हें भी कुछ दे देंगे और वे भी खुशी-खुशी वोट देते रहेंगे। राहत ही पहुंचानी है तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को किफायती बनाओ। पर नहीं, ऐसा किया तो वोट बैंक हाथ से निकल जाएगा। वोट बैंक जितना अपनी समस्याओं में उलझा रहे उतना ही अच्छा, बच्चे की महंगी शिक्षा कैसे पूरी हो उसकी समस्या, 6 महीने से लंबित परे वेतन को निकालने के लिए घूस की व्यवस्था कैसे हो उसकी समस्या, मध्यम वर्गीय परिवार की समस्याओं का अंत नहीं। वोट बैंक जितना ही टुकड़ों में बटा रहे उतना ही अच्छा। कभी जातिगत आरक्षण के नाम पर, तो कभी बैकवर्ड फॉरवर्ड के नाम पर,  पिछड़ा और अगड़ा के नाम पर, ये जितना ही आपस में लड़ते रहेंगे, उनकी राजनीति उतनी ही चमकेगी। क्षुद्रता की राजनीति करने वाले,  मुफ्त खोरी की राजनीति करने वाले,  विभाजन की राजनीति करने वाले नेता लोग देश को चुना लगाकर अपना तिज़ोरी इसी प्रकार भरते रहेंगे और इनसब से बेखबर आप अपनी समस्याओं मे, अपनी लड़ाइयों में उलझे रहेंगे। पता है, इस देश के ऊपर कितना कर्ज है? भारत पर कुल 42 लाख करोड़ रुपये का विदेशी कर्ज है इस प्रकार हर भारतीय पर औसतन ₹30716 का कर्ज है। मुफ़्त की बिजली के बहकावे में आने वाले लोग यदि सच्चे भारतीय हैं तो उन्हें ये जानना चाहिए कि उन तक बिजली कैसे पहुंचती है। आप बिजली का बिल बिजली वितरित करने वाले कंपनी को देते हैं और वह बिजली उत्पादन कंपनी भुगतान करती है और बिजली उत्पादन कंपनी उस पैसे से कोयला उत्पादन कंपनी के बकाए भुगतान करती है,  ताकि कोयला मिलता रहे और बिजली का उत्पादन जारी रहे। अब जब आपसे मुफ्त में बिजली का वायदा किया जाता है और आप बिजली के पैसे देने बंद कर देते हैं या फिर उपभोक्ता गलत तरीके से मुफ्त की बिजली का जुगाड़ कर लेता है तो नीचे से ऊपर तक भुगतान की प्रक्रिया वहीं ठप्प हो जाती है। बिजली वितरित करने वाली कंपनी को पैसे देने की जिम्मेदारी फिर सरकार की होती है,  सरकार यदि सोचती है कि ठीक है बाद में पैसा दे दिया जाएगा तो नीचे से ऊपर तक भुगतान पहुंचने की प्रक्रिया वहीं पर ठप्प हो जाती है। इस वजह से आज की तारीख में और उपरोक्त सभी कंपनियां घाटे में चल रही हैं। कोल इंडिया पर 12300 करोड का बकाया है जो बिजली उत्पादन कंपनी को देनी है और बिजली उत्पादन कंपनी के ऊपर एक लाख दस हजार करोड़ का बकाया है जो उसे बिजली वितरण कंपनी देगी और बिजली वितरण कंपनी के ऊपर ₹पाँच लाख करोड़ रुपये का बकाया है जो उसे उपभोक्ता देगी और उपभोक्ता की बिजली माफी यदि हो चुकी है तो यह जिम्मेदारी फिर राज्य सरकार की होगी। राज्य सरकार अपने कार्यकाल में यदि यह भुगतान नहीं करती है तो फिर यह भुगतान अगले कार्यकाल वाले राज्य सरकार के ऊपर आएगी। घाटे को कम करने के लिए बिजली कंपनी को रोज थोड़ा सा पावर कट करना होगा और जब इससे भी बात नहीं बनेगी तो फिर एक दिन सारी कंपनियां फेल कर जाएगी। इस प्रकार मुफ्तखोरी की सुविधा देने का जो षड्यंत्र है उस प्रक्रिया को जानिये। टैक्स पेयर्स के जेब से ₹100 निकालकर 20 अब तक वे गरीबों में बांट देते थे अब वे पाँच रुपये आपको भी देंगे और केंद्र सरकार से कर्ज लेकर घी पीते रहेंगे और जब सत्ता बदलेगी तो पता चलेगा कि हर व्यक्ति के सर पर कर्ज सौ रुपये से बढ़कर हजार रुपए हो गई जिसे चुकाने के लिए अगली सरकार को और टैक्स बढ़ानी पड़ेगी पर वे आपसे पाँच रुपये की जगह छह रुपये वापस देने का वादा करेगी और आप फिर उसे वोट दे देंगे। कब तक मूर्ख बनते रहेंगे।

     आप हमें वोट दें क्योंकि हम मुफ्त खोरी की जगह लोगों को काम देंगे और काम के बदले पैसे। हम कम मूल्य में बेहतरीन शिक्षा देंगे और सरकारी स्कूलों को बेहतर भी बनाएंगे और उसकी संख्या भी बढ़ाएंगे कि ताकि आप कम से कम खर्च में अपने बच्चों का भविष्य संवार सकें। शिक्षा के ऊपर केवल अमीरों का हक ना रहे,  मध्यमवर्गीय परिवार भी अपने बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे सके। हम समाज को जाति विहीन बनाएंगे ताकि आपस का झगड़ा समाप्त हो सके। बैकवर्ड फॉरवर्ड का झगड़ा मिट सके। और भूमिहार राजपूत कुर्मी यादव बनने की जगह पर सभी सच्चे भारतीय बन सके। जो जरूरतमंद हैं बस उन्हें आरक्षण की सुविधा हो वह भी तभी तक जब तक कि वह गरीब है। और याद रखें गरीबी कोई स्थाई दशा नहीं है। आज आपके पास नौकरी है आप सक्षम हैं तो आपके बच्चे अच्छी शिक्षा पा रहे हैं अच्छी नौकरी में हैं पर कल को आपके बच्चे के पास नॉकरी नहीं रही या व्यवसाय में घाटा लग गया और वे फिर से गरीब हो गए तो पुनः उन्हें एवं उनके बच्चों को आरक्षण रुपी सामाजिक सुरक्षा मिलेगी। हमारी पार्टी का नाम ही है बीएपीएल पार्टी, हम किसी को भी देर तक गरीब नहीं रहने देंगे और विकाश का हमारा सूत्र है, आ ल रो भी। आ से आर्थिक आरक्षण। ल से लघु उद्योग ताकि हर हाथ को काम मिले और आपके बच्चे बेरोजगार नहीं रहें। रो से रोजगार, यानी रोजगार परक शिक्षा जो भावी लघु उद्योग की नींव साबित होगी। भी से भ्रष्टाचार भी और भी से भागीदारी भी। भ्रष्टाचार का खात्मा होऔर वह तभी होगा जब हर नीतियों के फैसले में लोकपाल के रूप में आपकी भागीदारी सुनिश्चित होगी,  नहीं तो नेता और सचिव मिलकर ऐसी नीतियां बनाएंगे जिससे भ्रष्टाचार की फसल उगती रहे और आप इन सब से बेखबर अपनी समस्याओं में और आपसी झगड़ों में उलझे रहें।

    अतः अपनी आँखें खोलिए। गलत लोगों के झांसे में, विभाजन कारी नेताओं के बहकावे में ना आए, उनके स्वार्थपूर्ति का साधन न बनें। देश के प्रति वफादार बने। आपका सही अर्थों में विकास ही देश का विकास है। अतः आप का विकास ही हमारे पार्टी बीएपीएल का सर्वोच्च लक्ष्य है। मेरे साथ साथ बोलिए, एक बनेंगे, नेक बनेंगे। देश की रक्षा कौन करेगा, हम करेंगे, हम करेंगे। भारत मां का मस्तक ऊंचा होगा क्षुद्र स्वार्थ के बलिदान से। क्षेत्रवाद, जातिवाद और मुफ्त खोरी का पाठ पढ़ाने वाले नेता देश के गद्दार हैं,  गद्दार हैं,  गद्दार हैं। बी ए पी एल पार्टी ने ठाना है गरीबों को गरीबी से बाहर लाना है, लाना है। मध्यमवर्ग को टैक्स के बोझ से बचाना है, बचाना है। शानदार शिक्षा को सर्वसुलभ बनाना है, बनाना है। बच्चों का भविष्य सुरक्षित और शानदार बनाना है, बनाना है। वंदे मातरम, वंदे मातरम

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डॉक्टर प्रभाकर भूषण मिश्रा

जन्म स्थान : जमालपुर (मुंगेर), बिहार, शिक्षा: एमबीबीएस, एमडी (मेडिसिन) रुचियां: पेंटिंग एवं लेखन
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